नागपुर :- नागपूर के त्रिस्कन्द अलूमिनि एड एस्ट्रोलोजेर्स असोसियेशन हाल ही मे ज्योतिषशास्त्र मे प्रश्न ज्योतिष विषय के बारे मे एक कार्यशाला सीताबर्डी स्थित विदर्भ साहित्य सम्मेलन रगमच में आयोजित किया गया, जिस में नागपूर के प्रसिद्ध ज्योतिषी डॉ ए ही मोहनदास ने प्रश्न शास्त्र, अष्टमंगलप्रश्न इत्यादि विषयों के बारे में विस्तार से बहुमूल्य जानकारी दी।डॉ ए व्ही मोहनदास का कहना है कि प्रश्न शास्त्र, ज्योतिष के ऐसे एक आकर्षणीय विभाग है जिसके द्वारा हमारे जीवन के हर पहेलु के बारे मे प्रश्न कर उन प्रश्नों के उत्तरों और निवारण पाया जा सकता है और इसके द्वारा हमारा संचित एवं प्रारब्ध कर्मों में जिसका उल्लेख हमारे जन्मकुण्डली मे लिखा होता है, होनेवाले परिवर्तन के बारे में भी जानकारी ले सकते है। प्रश्नकुण्डली कैसे बनाइ जाते है और उसका विश्लेषण करते समय किन किन बिन्दुओं पर ध्यान देना चाहिए इन बातों पर भी विस्तृत रूप में प्रकाश डाला गया।केरल में प्राचीन काल से प्रचलित अष्टमंगल प्रश्न के बारे में उन्होने बताया की आठ मगल वस्तुओं के समक्ष दिये मे श्रीगणेशजी एवं लक्ष्मीदेवि को आवहन कर उन दोनो देवतो की सान्निध्य मे कवडी, पान के पत्ते आदि इस्तेमाल करके की जाने वाले इस पद्धती को प्रत्यक्ष रूप में करके दिखाया। जिस पद्धती से व्यक्ती के भूत, वर्तमान एवं भविष्य के बारे में जाना जा सकता है।
कार्यक्रम के शुरुवात मे त्रिस्कन्द अलूमिनि ऑड अस्ट्रोलेजेर्स असोसियेशन की महासचिव श्रीमती कीर्ति पाटील ने कार्यक्रम के बारे मे प्रस्तावना की। श्रीमती शीतल मदनकर ने कार्यक्रम की सूत्रसंचालन किया। श्रीमति स्नेहल कुलकर्णी ने वक्ता की परिचय करवाया। डॉ मंगेश गोरन्टीवार ने आभार प्रकट किया।कार्यक्रम मे त्रिस्कन्द वेदांग महाविद्यालय के प्राचार्य श्री मुकुन्दमुन्दोळकर, त्रिस्कन्द अलुमिनि ऑड अस्ट्रोलेजेर्स असोसियेशन के अध्यक्ष श्री मिलिन्द केकरे भी मुख्यरूप मे उपस्थित थे। बहुत संख्या मे ज्योतिष विद्यार्थि भी भाग लिए, उन्होने इस कार्यशाला की सराहना की और ऐसे कार्यशालाओं को आयोजन भविष्य मे भी करनेकी आग्रह व्यक्त किये.
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