नागपुर :- अप्रैल में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा को करारा झटका लगा था। विदर्भ की दस सीटों में से भाजपा को 2 सीटें ही मिली थीं। जिसके बाद सवाल उठने लगा था कि चार माह बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में क्या भाजपा वापसी कर पायेगी? लेकिन देवेन्द्र फडणवीस ने संघ के सहारे जमीनी हकीकत को समझते हुए रणनीति बनाई और हारी हुई बाजी को जीत में बदल दिया। महायुति सरकार ने चार महीने पहले ही ‘लाडली बहन’ योजना के माध्यम से चुनाव के पूर्व तक महिलाओं के खाते में साढ़े सात हजार, साढ़े सात हजार रुपए जमा किए। लाडली बहन योजना गेमचेंजर बन गई। लोकसभा चुनाव में संविधान बदलने के मुद्दे पर पराजय झेलने वाली भाजपा ने इस बार फूंक-फूंक कर कदम रखा और मतदाताओं को यह समझाने में सफल रहे कि यह मुद्दा फेक नेरिटिव का हिस्सा था। लोकसभा चुनाव में मराठा के साथ-साथ ओबीसी समाज भी भाजपा से दूर था। लेकिन इस बार ओबीसी समाज ने भी भाजपा का साथ दिया। मनोज जरांगे ने अंतिम समय पर चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा करने के बाद मराठा वोटों का विभाजन हो गया जिसका लाभ भाजपा को हुआ।
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