नागपुर : नागपुर स्थित दीक्षाभूमि में १२ अक्टूबर अशोक विजयादशमी को बौद्धों अनुयायियों द्वारा ६८वे धम्मचक्र प्रवर्तन दिन बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है। इस दिन समस्त अनुयायी श्वेत वस्त्र धारण कर फिर त्रिशरण पंचशील का पठन करते है। दुनिया को शांति का संदेश देने वाले महाकारुणिक तथागत गौतम बुद्ध को याद किया जाता है और उनको अभिवादन कर पूजा की जाती है। इस अवसर पर महा न्यूज़ ७ की टीम ने दीक्षाभूमि इस पावन भूमि में जाकर महाराष्ट्र और देश दुनिया से आये हुए अनुयायियों से आज के दिन के महत्व को जाना। बौद्ध धम्म का चक्र जो भारत में लगभग विलुप्त हो चुका था उसे विश्वरत्न बोधिसत्व परमपूज्य डॉ. बाबासाहब भीमराव अम्बेडकर इन्होने “धम्म चक्र प्रवर्तन” को गतिमान किया। १४ अक्टूबर १९५६ साल में बाबासाहब ने ५ लाख से ज्यादा अनुयायियों के साथ बौद्ध धम्म की दीक्षा ग्रहण की थी। इस दिन को “धम्मचक्र अनुप्रवर्तन दिवस” के नाम से भी जाना जाता है। बौद्ध धर्म में दशहरा के दिन धम्म चक्र प्रवर्तन दिवस मनाया जाता है। इस दिन पर बौद्ध अनुयायी बड़ी श्रद्धा के साथ जुटते हैं। नागपुर शहर में जगह जगह बहार से आये हुए भीम और बौद्ध अनुयायिको के लिए अन्नदान के स्टॉल लगाए जाते है। विभिन्न राज्यों और जिलों के इच्छुक लोगो ने दीक्षाभूमि में भदंत आर्य नागार्जुन सुरई ससाई और भीखू संघ के माध्यम से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली।